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गुलमोहर के पेड़

  • अतुल श्रीवास्तव
  • Aug 11, 2022
  • 2 min read

Updated: Mar 29, 2024


कुछ वर्षों पूर्व मैं खजुराहो भ्रमण के लिये गया था| खजुराहो में अंतिम दिन था और ये निर्णय लिया कि इस प्राचीन नगरी से प्रस्थान करने से पूर्व दूल्हा देव के उपेक्षित मन्दिर का भी दर्शन कर लिया जाये| एक कोने में पड़ा ये मन्दिर अकेले ही लू के थपेड़ों को झेल रहा था| कोई भी दूर दूर तक नहीं दिख रहा था| लग रहा था कि जीर्ण शीर्ण अवस्था में खड़ा ये ढांचा अब गिरा तो तब गिरा| मैं दूर से ही वास्तुकला की इस कलाकृति को निहार रहा था मारे डर के कि कहीं ऊपर ही ना गिर पड़े|


भीषण गर्मी का मौसम था| तपते हुए लावारिस गरम पत्थर, सूखी हुई धरा और मन्दिर के पीछे रक्त वर्ण फूलों से पूरी तरह लदे हुए तीन या चार गुलमोहर के पेड़ जो उस मन्दिर के एकाकी पन को दूर करने का असफल प्रयास कर रहे थे|


ऐसा मैंने सुना है कि गुलमोहर के फूल एवं फलियाँ मृदुकारी, पोषक और गठिया दूर करने में सहायक होते हैं। अतः मैंने पतलून की जेब से सफेद रुमाल निकाली और जमीन पर छितरे हुए गुलमोहर के फूल बटोरने में जुट गया| उन्हीं पेड़ों के नीचे एक दस या बारह साल का लड़का बैठा हुआ था| उसके तन पर एक पूरी तरह से फटी हुई बनयान और एक अधफटी नेकर लटक रही थी, और साथ में थीं सुस्त पड़ी हुई कुछ बकरियाँ| ऊपर से गुलमोहर के फूल टपक रहे थे उस लड़के के चारों ओर| मैंने सोचा - क्या विडम्बना है! किसके लिये ये फूल गिर रहे हैं? उस लड़के के लिये जिसके पास इन्हें बटोरने के लिये तो क्या खुद को पूरी तरह से ढकने के लिये भी कपड़े का एक छोटा टुकड़ा नहीं है|


शायद उसने मेरा मन ही मन सोचना सुन लिया| पास आया और अपने सारे के सारे दाँत दिखाते हुए पूछा - सर, गाईड चाहिये? पूरे पचास रुपये कमाये उसने| पता नहीं कपड़े का एक टुकड़ा खरीद कर गुलमोहर के फूल बटोरे या ....


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- अतुल श्रीवास्तव

[फ़ोटो: तकायामा, जापान]

1 Comment


ajeet srivastava
ajeet srivastava
Aug 25, 2022

बेहतरीन पेशकश है।।आपकी लेखनी में बहुत दम है।।

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-अतुल श्रीवास्तव

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