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शीत

  • अतुल श्रीवास्तव
  • Jan 4, 2024
  • 2 min read

Updated: Feb 5, 2024


नवंबर से मार्च तक के माह उत्तरी कैलीफॉर्निया में अत्यंत लुभावने होते हैं| जून से सितंबर तक की भीषण गर्मी से धरा भूरी हो जाती है, नदियों में जल प्रवाह क्षीण हो जाता है और झीलें शिथिल सी लगने लगती हैं| नवंबर के मध्य से हल्की हल्की ठंड का आगमन प्रारंभ हो जाता है, पहाड़ों पर हिम का छिड़काव होने लगता है और तराई इलाकों में बारिश शुरू हो जाती है| एक अच्छे साल में दिसंबर से मार्च तक अत्यधिक मात्रा में हिमपात होता है और वर्षा धरा को पूरी तरह से सींच देती है जिससे चारों ओर मन को लुभाने वाली हरियाली छा जाती है| ऐसे में निम्नलिखित भावों की उत्पत्ति स्वाभाविक है|  

 

हिम-भभूति सज्जित है भूधर ललाट पर,

अंबु-मुक्ता थिरक रहे जलतरंग नाद कर,

सिक्त मृदा की सुगंध बहे शीतल बयार संग,

नवजीवन आकर्षित करने, बदल रहे हैं पात रंग|


भानु हो गया शिथिल माहों के अविरत ताप से,

भोर भई सुमधुर, पंछियों के लय युक्त जाप से,

पर्वों का उल्हास हो रहा बहने को व्याकुल,

सरोजिनी मन सम्मोहित करने को आकुल|


झाँके तरुवर शिखायें भेद कोहरे की चादर,

शीश उठाये आतुर छूने को कजरारे बादर,

शुष्क शाखाओं पर फुदके नन्हें से पाखी,

कर रही प्रदर्शित प्रकृति मनमोहक झाँकी|


मेघों के द्रवित सुधा से भई तरिणी उन्मादित,

हरित साड़ी में सज्जित वसुधा नाचे हो आनंदित,

मैं सूक्ष्म, हुआ प्रमत्त देख सृष्टि का अनुपम मंचन,

तौल नहीं सकता इसको समस्त कुबेर-कंचन|


भूधर - पर्वत

ललाट - माथा, मत्था, मस्तक

अंबु - जल, पानी

मुक्ता - मोती

नाद - ध्वनि

सिक्त - गीला, भीगा हुआ

मृदा - मिट्टी

बयार - मंद गति की हवा

पात - पत्तियाँ

भानु - सूर्य

सरोजिनी - कमल से भरा तालाब

पाखी - पक्षी

तरिणी - नदी

प्रमत्त - नशे में चूर (Intoxicated)

अनुपम - उपमा से रहित

मंचन - मंच पर अभिनय


****

- अतुल श्रीवास्तव

[फ़ोटो: कोची, केरल, भारत]



1 Kommentar


Hari B Srivastava
Hari B Srivastava
05. Jan. 2024

अति उत्तम

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-अतुल श्रीवास्तव

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