निर्णयहीन
- shria0
- Apr 2, 2024
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Updated: Mar 4

तठस्थ भी हो, और हो मौन,
विस्मित मैं कि तुम हो कौन?
हर पक्ष से सहमत, विचित्र है ये रीत,
विचारहीन हो, या परिस्थिति से भयभीत?
क्या बहते ही रहोगे सदा मझधार में
आना तो पड़ेगा कभी न किसी पार पे।
सत्य असत्य दोनों विजयी हों, संभव ये है नहीं,
क्या दुर्बलता का आभास तिरोहित है कहीं?
क्या स्वार्थ इस मौन का आधार है?
या चेतना पर मूक एक प्रहार है?
अब तो अंतःकरण के कपाट खोलो,
क्या पक्ष तुम्हारा, उसको शब्दों में बोलो|
तिरोहित: अदृश्य, छिपा हुआ
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- अतुल श्रीवास्तव
[फ़ोटो: ज़ंजीबार, तंजानिया ]
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