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हे भगवान!

  • अतुल श्रीवास्तव
  • May 19, 2020
  • 1 min read

Updated: Aug 12, 2022


कुछ दिन पहले की ही बात है मैं निराशाओं के बादलों से घिरा हुआ था। सोचा चलो प्रभु से ही याचना की जाये। बस पड़ोस के मंदिर में जा धमका। हर भक्त की तरह मैंने भी सौ डेसिबल का घंटा टनटनाया और हाथ जोड़ कर एक पैर पर खड़े हो कर प्रभु से प्रार्थना की - हे प्रभु! अपने इस भटके हुये भक्त का मार्ग प्रदर्शन करो।


एक बड़े जोर का धमाका हुआ और जब धुँआ हटा तो अपने समक्ष प्रभु विष्णु को खड़ा पाया। "बोल वत्स तुझे क्या चाहिये?"


"प्रभु आप भी न मजाक करते है। अभी एक मिनट पहले ही तो कहा था कि अपने इस भटके हुये भक्त को सही रास्ता दिखायें।"


"वत्स उस समय मैं पारगमन (transit) में था। परंतु तुम चिंतित न हो। समझो तुम्हरी समस्या का निवारण हो गया है। मेरे पास उपाय है।"


"प्रभु बताईये मुझ तुक्ष प्राणी को क्या करना होगा।"


"वत्स तुम्हें कुछ नहीं करना होगा। ये GPS Navigation System ग्रहण करो, बस अब तुम भविष्य में मार्ग से कदापि न भटकोगे।"


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- अतुल श्रीवास्तव

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-अतुल श्रीवास्तव

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