शीतल बयार
- अतुल श्रीवास्तव
- May 19, 2020
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Updated: Aug 12, 2022

इतराती हवा में एक चुभन तैरने लगी है,
कोहरे की परतें भी लालिमा छुपाने लगी हैं,
आँगन में जाना और गालों पर गीला सा चुम्बन,
भोर का आलिंगन और बदन में एक कम्पन,
पहाड़ों को ढकने लगी पशमीनों की परतें,
पेड़ों से झड़ने लगे लाल पीले ये पत्ते,
सूरज का सहलाना अब मन को भाने लगा है,
संग कम्बल में दुबकने को मन ललचाने लगा है।
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- अतुल श्रीवास्तव (सियरा में मौसम का पहला हिमपात)
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