मुशाहिदा
- अतुल श्रीवास्तव
- May 19, 2020
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Updated: Aug 12, 2022

दूर दूर तलक अब सड़कों पर बस पहियों के निशां ही रह गये हैं,
नीले आसमाँ को ढके वो काले गुबार भी न जाने कहाँ बह गये हैं।
कुछ अजब है माहौल कि अब कानों में सिर्फ सन्नाटा ही है गूँजता,
क्या फिर से जमेंगी महफिलें आज हर इंसान बस यही है पूछता।
मोहल्ले के वो सारे अंजुमन जो रेहलत बदौलत हो रहे थे बरबाद,
वक्त के इस हेर फेर में फिर से खुद बखुद हो रहे हैं आबाद।
अजब इत्तेफ़ाक ये है कि दूरियाँ बढ़ी भी और कुछ घटी भी हैं,
उड़ाते थे जो मजहबी पतंगें, उनकी डोरियाँ अभी कटी सी हैं।
रूबरू हुये खुद से और जाना तन्हाई भी एक खुशनुमा तराना है,
जाना हम में भी हैं कुछ छिपे हुनर और हमारा भी एक फ़साना है।
कल कोई और दौर था आज न जाने क्यों बदला हुआ सा ये ज़माना है,
अंजाम कैसा होगा कल का ये तो हौवा के बच्चों को ही आज़माना है।
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- अतुल श्रीवास्तव
मुशाहिदा: observation, closely watch
रेहलत: Exodus, Departures
हौवा: In Islam आदम is believed to have been the first human on Earth. हौवा was his wife - "mother of mankind". Similar to Manu and Satarupa in Hinduism. Satarupa is regarded as the first woman to be created by Brahma along with Manu.
कोरोना काल की मन स्थिति का सजीव वर्णन। बधाई