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अहं नरकं गमिष्यामि

  • अतुल श्रीवास्तव
  • Jan 26, 2021
  • 5 min read

Updated: Mar 29, 2024


ये तो सर्व विदित है कि मैं दाढ़ी मूँछों से ढके हुए और आम जनता को उपदेश पिलाने वाले गुरुओं और स्वामियों के चंगुल से कोसों दूर रहता हूँ। मेरी मात्र शिकायत ये है कि ये बाबा जन मन की शांति के लिये वन-साईज़-फिट्स-आल वाला मंत्र सबको बड़े से सभागार में बिठा कर घुट्टी की तरह पिलाते रहते हैं। अब भाई दारा सिंह का कच्छा कोई मुझे थोड़े ही फिट होगा। खैर, एक बाबा हैं जिन्होंने अपने अथाह ज्ञान से मुझे अपना चेला बना ही डाला। ये हैं दुनिया की वाह-वाही से दूर, कोने में चुप चाप पड़े बाबा लखनवी - दो फीट लम्बी दाढ़ी रखते नहीं हैं और चोंगे की जगह निक्कर, टी-शर्ट और चप्पल पहनना पसंद करते हैं। आम भारतीयों की तरह लोगों के ऊपर मुफ्त में ज्ञान बरसाते नहीं हैं, जब पूछो तभी सलाह देते हैं और वो भी सौ प्रतिशत मुफ्त। बाबा ने मन की शंति के लिये जो मंत्र मुझे आज से कई वर्षों पूर्व दिया था वो आज भी पूरी तरह से काम कर रहा है। मन की शंति को ले कर बाबा के साथ हुआ वो वार्तालाप मुझे आज भी ज्यों का त्यों याद है:


बाबा लखनवी, मन बड़ा अशांत रहता है। मन की निर्मल शांति का कोई उपाय बतायें, मार्ग दिखायें।


पहले तो बेटा मुझे बाबा मत कहो। लगता है गाली दे रहे हो। बस लक्खू बुलाओ। अब बात रही अशांति की, तो पहले अशांति का मूल कारण जान या खोज लो, शांति का मार्ग अपने आप खुल जायेगा।


लक्खू महराज, भेजे में इतनी ही अकल होती तो आप की शरण में क्यों आता। अब आप ही प्रकाश डालें कि अशांति का मूल कारण क्या है।


बेटा, सारी परेशानियों की जड़ सिर्फ एक है - मानव जाति। ये तरह तरह का रूप धर कर परेशानियों का पिटारा खोल देती है - बाप, बेटा, बेटी, अम्मा, चाचा, मामा, भाई, भाभी, पड़ोसी, ऑफिस के साथी, मोदी, राहुल, आपका बॉस और हाँ आपकी बीबी, वगैरह वगैरह। कभी दुखी कि बेटा नालायक निकला डाक्टर नहीं बना, बिटिया दूसरे जाति के लौंडे के साथ आँख-मट्ट्कन खेल रही है, अम्मा पीछे लगी रही शादी कर लो फिर नाती पोते दे दो, ससुरा मिश्रा बॉस के जूते और न जाने क्या क्या चाट कर वी पी बन बैठा और मैं आई आई टी ग्रैजुयेट कोल्हू के बैल की तरह रगड़ता रहा और अभी तक मैंनेजर नहीं बना, बॉस तो हमेशा पागल कुत्ते की तरह बस काटने को ही दौड़ता है, और बीबी से तो हमेशा परेशान। सत्य नारायण की कथा नहीं करवाई तो डाईबिटीज़ करा दी ऊपर वाले ने। ऊपर से जिस दिन वारंटी खतम उसी दिन टी वी फुस्स। गुसलखाने में पानी लीक कर रहा है पर प्लम्बर का कोई अता पता नहीं। और तो और वाई फाई ढंग से काम नहीं कर रहा है सो न तो नेटफ्लिक्स देख सकता हूँ और न टिक टॉक वीडियो। बेटा, सारांश ये है कि तुम्हारी अशांति का मूल कारण मानव जाति और उसके बनाये हुए रीति-रिवाज़, चोंचले, धर्म और सारे सामान हैं। शांति चाहते हो तो ऐसी जगह जाओ जहाँ मानव जाति का प्रकोप अभी तरह पूरी तरह से न पहुँचा हो। मेरी मानो तो किसी पहाड़ की चोटी पर चढ़ जाओ, वही जगह अभी तक मानव जाति के अभिशाप से बची हुई है।


वो दिन और आज का दिन - जब कभी मन अशांत होता है, बस लक्खू के मंत्र का अनुसरण करते हुए मैं पहाड़ों की ओर पलायन कर देता हूँ लोगों की भीड़ से दूर। पर ये तो रही इस लोक की बात। आजकल मैं भी सारे धार्मिक लोगों की तरह इस जीवन और इस लोक को परे हटा कर परलोक और मृत्युपरांत जीवन की अधिक चिंता करने लगा हूँ। और करनी भी चाहिये - साठ साल का जल्दी ही होने वाला हूँ और इस उम्र में परलोक भी सुधारना चाहिये ऐसा मेरे यार-दोस्त और रिश्तेदार मुझे बताते हैं। अब परलोक में कैसे शांति मिलेगी इस उपाय के लिये भी मैं जा धमका लक्खू के पास।


लक्खू के घर पहुँचा तो देखा लक्खू महराज तखत पर पाल्थी मारे बैठे हैं - कानों पर हेडफोन, आँखें बंद और होठों पर मंद मंद मुस्कान। मेरी आहट से लक्खू का ध्यान भंग हुआ, बड़ी आत्मीयता से मेरी ओर देखा और कानों से हेडफोन को हटाया।


लक्खू महराज, क्या हो रहा था?


अरे कुछ नहीं। आजकल मेडिटेशन का बड़ा जबरदस्त फैशन चल रहा है। सोचा मैं भी कर लूँ। तुम्हें तो पता ही है कि मैं बड़ा ही फैशनेबल टाईप का आदमी हूँ।


वो तो ठीक है, पर हेडफोन लगा कर मेडिटेशन?


क्यों नहीं? मेरा मेडिटेशन तो ऐसे ही होता है। किशोर कुमार और आर. डी. बर्मन के गाने सुन रहा था। लक्खू महराज ने मन भावन मुस्कराहट के साथ कहा। कहो अब कैसे आना हुआ?


महराज, पिछले गत महिनों से एक प्रश्न बहुत परेशान कर रहा है। आपके मंत्र से मुझे इस लोक में तो यदा कदा शांति मिल जाती है, पर ढुनंगने के बाद परलोक में शांति कैसे मिलेगी? इसका भी कोई मंत्र हो तो बताईये।


बेटा, मैं अभी तक मरा नहीं हूँ इस लिये पता नहीं कि वहाँ का माहौल कैसा है और वहाँ शांति कैसे मिलेगी। इस विषय में मैं तो कुछ जानता नहीं हूँ। हाँ हो सकता है बाकी के बाबा, गुरू या स्वामी लोग तुम्हारी समस्या का समाधान कर सकें। पर इस लेख के अध्याय एक में दिये गये मंत्र के आधार पर मैं एक तुक्का जरूर मार सकता हूँ।


महराज, आपका तुक्का सर आँखों पर। मुझे न जाना किसी गुरू या स्वामी की सभा में।


तो फिर ठीक है। मेरी बात को ध्यान से सुनो। अगर परलोक में शांति चाहिये तो स्वर्ग के चक्कर में न पड़ो बल्कि नरक जाने का प्लान बनाओ।


ये क्या कह रहे हैं महराज?


बेटा, लगता है तुम लेख के पहले अध्याय में दिये गये पाठ को पूरी तरह से समझ नहीं पाये हो। चलो विस्तार से समझाता हूँ। जैसा कि मैंने पहले कहा था कि सारी परेशानियों के जड़ है मानव जाति। अब ये बताओ कि मानव जाति की जनसंख्या कहाँ अधिक होगी - स्वर्ग में या नरक में? कोई शक नहीं कि स्वर्ग में। क्यों कि मरणोपरांत हर कोई स्वर्ग ही जाता है, नरक तो कोई जाता ही नहीं है। हर मृतक के लिये हर कोई यही कहता है स्वर्गीय फलाँ फलाँ या स्वर्गीय आत्मा को... आज तक कभी सुना है कि नरकीय फलाँ फलाँ या नरकीय आत्मा को.... तो साफ जाहिर है कि हर मृतक स्वर्ग ही जाता है और इस हिसाब से तो स्वर्ग में मानव जाति की जनसंख्या अझेलनीय हो गई होगी। सोचो इतनी बड़ी मानव जाति की लगातार चिल्ल-पों और तू-तू मैं-मैं सुनते सुनते स्वर्ग के समस्त कर्मचारी कितने कटु हो गये होंगे। बेटा, ऐसे वातावरण में शांति तो मिलने से रही।


लक्खू महराज के विचारों को तो मानों पंख ही लग गये हों। बस अविरत बोलते ही चले गये -


वहाँ दूसरी ओर नरक में मानव जाति का भीड़-भड़क्का है ही नहीं। बहुत होंगे तो कुछ-एक हमारे तुम्हारे जैसे तथाकतिथ पापी ही होंगे। नरक के कर्मचारी भी सर आँखों पर बैठायेंगे मारे इस डर के कि कहीं ये ससुरे भी भाग गये तो हम सब तो बोरियत के मारे ही मर जायेंगे। मानव जाति की भीड़-भाड़ से जितना ही दूर ही रहोगे उतनी ही अधिक शांति प्राप्ति होगी। इसी लिये बेटा मेरे विचार से तो समझदारी इसी में है कि तुम मरणोपरांत जीवन की शंति के लिये नरक पर ही फोकस करो। तुमको अगर कोई गो टू हेल कहेगा तो तुमको बुरा भी नहीं लगेगा क्यों कि ये तो आशिर्वाद ही होगा।


ये कहते कहते महराज ने बगल में रखी झोली में हाथ डाल कर दो छोटे छोटे काँच के गिलास निकाले और फिर निकाली एक सोलह वर्षीय व्हिस्की की बोतल। महराज ने पहले अपने गिलास में थोड़ी सी व्हिस्की डाली फिर मेरे गिलास में और चीयर्स करते हुए कहा - तुम्हारे इस लोक और परलोक की शांति के लिये।


****

- अतुल श्रीवास्तव

[फ़ोटो: माऊँट शास्ता, कैलीफॉर्निया]

1 Comment


Hari B Srivastava
Hari B Srivastava
Jan 28, 2021

😀😀

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-अतुल श्रीवास्तव

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