धर्म
- अतुल श्रीवास्तव
- May 19, 2020
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Updated: Aug 12, 2022

धर्म, धर्मांध - युद्ध, रक्तपात,
यत्र, तत्र, सर्वत्र - हिंसा का ताप ।
घृणा का विष, अज्ञानता का आधार,
भय की आधारशिला, तर्क निराधार ।
दैविक प्रलोभन, धर्मोचित नरसंहार,
कुप्रथा, प्रणाली, मानवता पर प्रहार ।
मरीचिका की पराकाष्ठा, ठगी अपरम्पार,
कोटि भ्रम जाल, मिथ्या का अंधकार ।
युद्ध, अज्ञानता, हिंसा, घृणा, रक्तपात,
धर्म, धर्मांध - असहनीय ये आघात ॥
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- अतुल श्रीवास्तव
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