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उड़ान

  • shria0
  • Mar 10
  • 1 min read

मन मेरे, अपने मन के पंख लगा,

नभ में उड़ जा, तारे गिन ला।

न बन कनकैय्या, बन सोन चिरैया,

धागों का कन्ना है एक भूल भुलैया।

दूजों की परिभाषा का जाल जला,

अपने पंख हिला, फुर्र से उड़ जा।

हर जन तुझको दिशा बतायेगा,

अपने ही साँचे में उलझायेगा,

सुन सबकी, पर हों पंख तुम्हारे,

दिशा तुम्हारी, नभ में जुगनू से तारे।

सदियों से नियमों का भंडार रचा है,

रीति रिवाजों का आतंक मचा है,

मन मेरे, अच्छे दाने ही चुगता जा,

अपने पंख लगा नभ में उड़ता जा।

भटक गया, ज्ञानी यही कथानक बाचेंगे,

निंदा के मंझे से पंख तुम्हारे काटेंगे,

इसीलिये, न बन कनकैय्या, बन सोन चिरैया

धागों का कन्ना है बस एक भूल भुलैया।

मन मेरे, अपने मन के पंख लगा,

नभ में उड़ जा, जा तारे गिन ला।


कनकैय्या: पतंग

चिरैया: चिड़िया

कन्ना: इसे कन्नी भी कहते हैं|

****

- अतुल श्रीवास्तव

[फ़ोटो: चपाला झील, चपाला मेक्सिको ]

 
 
 

1 Comment


ajeet srivastava
ajeet srivastava
Mar 11

बहुत सुन्दर लिखते हो यार।।

कलाकार हो आप

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-अतुल श्रीवास्तव

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